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होली पर चुनावी फुलझड़ी दोहे।

 होली पर चुनावी फुलझड़ी दोहे।                 नफे सिंह कादयान सत्ता मस्त हसीना है, पंचम बंसत देख।  चुनावी हो बहार तो, आँखें अपनी सेक।।     खाला जी करे बाड़ा, भेड़े कतुरे भाय। राफेल में बैठ पप्पु, आदानी घर आय।।            जोड़ तोड़ ताले की, चाबी राखे जोय। सबसे बड़ा खिलाड़ी, सत्ता उसकी होय।।   अजहुँ वोट सब खिसकैं, जो अब मानै हार। ओखल में सर ठोक के, मुसल  से तकरार।।   भवसागर सब पार हों, चोखे काम कराय। इतना चंदा डालिए, जो नेता को भाय।।   सप्तरंगी चुनावों में, होय ना कौय खोट। झूठे भाषण जौ करै, दिजै वोट की चोट।।                    **** संक्षिप्त लेखकीय परिचय-  नाम- नफे सिंह कादयान, पता:- गाँव- गगंनपुर, जिला-अम्बाला, डाकघर- बराड़ा-133201 (हरि.) mob.9991809577 जन्म- 25 मार्च 1965, कार्य– खेती-बाड़ी, नव-लेखन। Email-nkadhian@gmail. com,  मुख्य सम्मान:- 1- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा व्यवस्था कहानी के लिये सम्मान- वर्ष-2009 2- B.D.S साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा श्रेष्ठ लेखन के लिये डॉक्टर भीमराव अम्बेदकर राष्ट्रीय फैलाशीप अवार्ड- वर्ष .2013 3- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘चैतन्य पदार्थ’ (वि

कविता

    गीत       मेरा-तेरा मेळ मिलै ना,    मेरा-तेरा मेळ मिलै ना, क्यांनु सपने पाळे सै, मैं सैकल पै चाल्लुं, तेरी लैंड क्रुजर चाल्लै सै।    चुल्ले के म्हं टिम्मी ला, अम सुक्के टिकड़ घड़रे सै, तू मल्लां म्हं रहया करै, मेरै कच्चे कोठे पड़रे सै, गल नोलखे आर तेरे, अमनै फटे जग्गे गाल्लै सै,  मैं सैकल पै चाल्लुं, तेरी लैंड क्रुजर चाल्लै सै।    सामण के रमजोल्ले, तेरा मन भटकै, चार दिना की झड़ी, म्हारी छत टपकै, अंबर आली पिंगां, कित झुल्ले गाल्लैं सै, मैं सैकल पै चाल्लुं, तेरी लैंड क्रुजर चाल्लै सै।   मेनत करणा कर्म मेरा, मैं सूं रांझा पाली, मेरी गेल्लां टैल करै, तो बण मेरी घरआली, नफे सिंह गंगनपुर आला, इबकै तरे हवाल्लै सै, मैं सैकल पै चाल्लुं, तेरी लैंड क्रुजर चाल्लै सै।                        **** नाम- नफे सिंह कादयान, गंगनपुर, जिला-अम्बाला, डाकघर- बराड़ा-133201 (हरि.) mob.9991809577